१९६१ की घटना । जॉन एफ कैनेडी अमरिका के राष्ट्रपति थे । राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में म्यूजिक प्रोग्राम के लिए उस वक्त के लोकप्रिय और बेहतरीन म्यूजिशियन को आमंत्रित किया था और उस म्यूजिशियन का नाम था, पॅब्लो कासल्स । पॅब्लो वायलिन बजाते थे और जब वह वायलिन बजाते थे तब मानो लोगों की सांसे थम जाती थीं, उनके वायलिन से गूंजनेवाले उस जादुई म्यूजिक के साथ लोग स्वयं को भूल जाते थे । उस दौर के वह सर्वश्रेष्ठ वायलिन वादक थे । उनके द्वारा की गयी दिलकश म्यूजिक की रचनाओं के कारण १९६३ में अमरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने पॅब्लो कासल्स को अमरिका के उच्चतम नागरिक सम्मान ‘प्रेजिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से नवाजा ।
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पॅब्लो की उम्र धीरे-धीरे बढ़ती गयी, उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनका म्यूजिक के के लिए प्रेम भी बढ़ता गया । पॅब्लो के ९० वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले नॉरमन कोसिन नाम का लेखक उन्हें मिलने गया । नॉरमन उस मीटिंग के बारे में कहता है, “पॅब्लो की उम्र हो चुकी थी । वह थक चुके थे । जब वह नींद से जगते थे अपने दिन की शुरुवात करते थे, उन्हें भयानक दर्द होता था, उन्हें होने वाली तकलीफ देखकर मुझे बेहद बुरा महसूस हुआ । उन्हें अर्थराइटिस था और साथ ही साथ वह बेहद कमजोर भी हो चुके थे । वह इतने कमजोर हो चुके थे कि कपड़े पहनने के लिए भी उन्हें दूसरों से मदद लेनी पड़ती थी । सांस लेने में तकलीफ होती थी । चलते वक्त एक-एक कदम बेहद धीरे से उठाते थे । चार कदम चलने के बाद वह थककर रुक जाते थे । हाथों में सूजन होती थी और उंगलियों में जकड़न थी । यह सब बुढ़ापे का असर था, पॅब्लो थक चुके थे ।”
नॉरमन आगे कहते हैं, “पॅब्लो के रूम में एक पियानो और म्यूजिक के कुछ दूसरे इंस्ट्रूमेंट थे, जिनके साथ उन्होंने पूरी ज़िन्दगी बिताई थी । धीरे-धीरे वह पियानो की तरफ बढ़े । उन्हें तकलीफ हो रही थी, फिर भी किसी तरह से वह पियानो के सामने रखे हुए स्टूल पर बैठे । हाथों में सूजन थी, उंगलियों में जकड़न भी, पर कुछ देर के प्रयास के बाद उन्होंने धीरे-धीरे पियानो के की बोर्ड पर हाथ चलाना शुरू किया ।
क्या आप यकीन करेंगे, उन पलों में जादू हुआ । अचानक से मानो पॅब्लो के शरीर में किसी ऊर्जा ने संचार किया, उनका शरीर पूरी तरह से बदल चुका था । तेजी से हाथ पियानो के की बोर्ड पर घूमने लगें और म्यूजिक की एक जादुई दुनिया निर्मित होने लगी ।”
यह सब नॉरमन कोसिन के आँखों के सामने घट रहा था, जिस पर यकीन करना नॉरमन के लिए असंभव था । जिस तरीके से पियानो बजाया जा रहा था, वह सिर्फ और सिर्फ किसी स्वस्थ इंसान के लिए ही संभव था । जैसे ही पॅब्लो ने पियानो बजाना शुरू किया, उनका शरीर स्वस्थ हो चुका था । नॉरमन कोसिन कहते हैं, “जैसे ही वह पियानो बजाने लगे उनकी उंगलियों में से जकड़न गायब हो गयी, उनकी पीठ सीधी हो गयी और वह गहरी सांसें लेने लगे ।”
पॅब्लो कासल्स के मन में निर्मित हुआ ‘पियानो बजाने का विचार’ इतना शक्तिशाली था कि उसने पूरे शरीर को परिवर्तित कर दिया था । जिस मन में यह विचार उठा, उस मन ने पूरे शरीर को नियंत्रित करना शुरू कर दिया था । यह वह जादू था, जो नॉरमन कोसिन के आखों के सामने हो रहा था । मन की उस अकल्पनीय ताकत को देखकर वह भौचक्का रह गये ।
दोस्तों, ज़िन्दगी जीते वक्त कई बार हमें अपने भीतर छिपी हुई मन की उस अकल्पनीय ताकत का एहसास होता है । किन्तु हम अपनी रोज की उलझनों में और कामों में इतना व्यस्त होते हैं कि हमें याद भी नहीं रहता कि अपने भीतर वह अद्भूत ताकत छुपी हुई है । एक ऐसी ताकत जो हमारी ज़िन्दगी को चंद पलों में परिवर्तित करने की क्षमता रखती है । एक ऐसी ताकत जो थक कर चूर होने के बाद भी हमारे शरीर में नयी जान फूंक सकती है । एक ऐसी ताकत जो सुनहरे भविष्य का निर्माण करने में हमारा सहयोग कर सकती है ।
आपने भी देखा होगा, जब मन की यह ताकत जग जाती है, तब चमत्कार होने लगता हैं । हम असंभव को संभव करने के रास्तें ढूंढ लेते हैं । खुद में छुपी क्षमताओं को पहचान कर जीवन परिवर्तन के मार्ग पर चल पड़ते हैं । वर्षों से चली आ रही समस्याएँ मानो मिनटों में हल हो जाती है । हम ज्यादा सकारात्मक और ऊर्जावान महसूस करने लगते हैं ।
अब जरा कल्पना करें, दिनभर ऑफिस में काम करने के बाद आप थक चुके हैं । आप इतना थक चुके हैं कि घर जाने की इच्छा और ताकत नहीं बची है । ऐसा लग रहा है कि ऑफिस में ही सो जाऊं । आप जैसे तैसे घर की तरफ निकलते हैं । आधा किलोमीटर पैदल चलकर मेट्रो स्टेशन तक पहुँचते हैं । मेट्रो की भीड़ में धक्के खाते हुए और खुद को संभालते हुए किसी तरह घर के नजदीकी मेट्रो स्टेशन पर उतरते हैं । जब आप घर से कुछ ही दूरी पर होते हैं, तब दिखाई देता है कि आपके घर को आग लगी है और आपका कोई प्रियजन उस आग में फंसा हुआ है ।
अब आप क्या करेंगे? क्या आप उस थकान को जो आपने ऑफिस में महसूस की थी, उसे उसी तरह से महसूस करेंगे? जिस तरीके से आप थके माँदे चल रहे थे, क्या उसी तरीके से चलना जारी रखेंगे? हरगिज़ नहीं । मुझे लगता है, जैसे ही आपको आपका जलाता हुआ घर दिखाई देगा, आप दौड़ पड़ेंगे, आपके प्रियजन को बचाने की हर संभव कोशिश करेंगे ।
अब सवाल यह है कि जो शरीर इतना थका हुआ था कि एक कदम चलना भी उसके लिए कठिन प्रतीत हो रहा था, उस शरीर में अचानक ऊर्जा का संचार कैसे हुआ? आपके प्रियजन को बचाने का साहस उस थके हुए शरीर में कहाँ से आया? किस तरह से कुछ ही पलों में आपका शरीर पूरी तरह से परिवर्तित हो गया?
इसका मतलब यह है कि हमारे भीतर कुछ इस तरह का तत्व छिपा हुआ है, जो हमारे शरीर को नियंत्रित कर रहा है । पूरी तरह से थके होने के बावजूद भी शरीर में ऊर्जा का संचार करवा सकता है । जब एक कदम उठाना भी असंभव लगता है, तब पूरे शरीर में ऊर्जा का एक सैलाब पैदा कर सकता है ।
हम उस तत्व को क्या कहेंगे? इस ताकत को हम क्या नाम देंगे? उस तत्व की परिभाषा हम किस तरह से करेंगे?
आमतौर पर हम इस तत्व को ‘मन’ कहते हैं ।
अब सवाल यह है कि हम मन किसे कहेंगे? मन की परिभाषा हम किस तरह से कर पाएंगे? किस तरीके से हम मन को समझ पाएंगे? अगर मन है, तो वह किन चीजों से बना हुआ है? क्या हम अपने दिमाग को, मन कहेंगे? हमारा दिमाग हमारे मन को नियंत्रित करता है या हमारा मन हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है?
इन सभी सवालों पर हम अगले ब्लॉग में चर्चा करेंगे ।
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए …
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